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Saturday 29 December 2012

सुनो सरकारों ,

हम अब चीखेंगे नहीं ,
हम अब तुमसे अपनी सुरक्षा नहीं चाहेंगे ,
अब तुम अपनी सुरक्षा की सोचो ,
अबका आन्दोलन स्वतःस्फूर्त है ,
करोडो की भीड़ अब जाग रही है ,
तुम हमें कुचलते आये हो ,
हमारी भावनाओं से खेलते आये हो ,
बहुत हो चूका खिलवाड़ ,
बंद कर दो यह सब ,
अब किसी दामिनी को,
मौत के आगोश में नहीं जाने देंगे ,
समझ गए हम तुम्हें, तुम दरिंदों के रक्षक हो ,
हमने सौपा हैं तुम्हें यह देश ,
तुम हमारे सेवक थे ,
हुक्मरान बन कर,
अहसानफरामोशी की हद पार कर दी तुमने ,
लाओ लौटा दो हमारा देश हमें ,
हम नहीं चाहते तुमसे अपनी सुरक्षा ,
नहीं चाहते , नहीं चाहते ,नहीं चाहते
पूरा देश तुम पर लानत भेज रहा है ,
तुम छोड़ दो कुर्सियां ,
दरअसल तुम इस लायक नहीं हो ,
जाग चुके हैं अब हम ,
कई दामिनियों को खो चुके हैं हम ,
अब नहीं खोना चाहते ,
तुम्हारे हर आश्वासन झूटे निकले ,
खरा समझे थे तुम्हें खोटे सिक्के निकले
तुम कभी नहीं रोक पाओगे
दामिनियो के साथ अनहोनियों को ,
दरअसल तुम हर अपराध में बराबर के भागीदार हो ,
मुक़दमा तुम पर चले , सजा तुमको मिले ,
तभी रुक पायेंगे यह सिलसिले ,
तुम शर्मिंदा नहीं, शर्मिंदा होने का नाटक करते हो ,
अब हम शर्मिन्दा हैं तुम्हें अपना रखवाला बनाकर ,
भेडियों को बगल में बिठाने वालों से इन्साफ की उम्मीद अब नहीं ,
विनोद भगत

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