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Thursday 31 December 2020

भाईयों प्रेम से रहो

रमदा अपने कमरे में बैठे थे। दोनों बच्चे पढ़ रहे थे। बीच बीच में एक दूसरे को दोनों बच्चे चिढ़ा रहे थे। बात बढ़ गयी और दोनों भाई हाथापाई पर उतर आये थे। रमदा ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन दोनों भाई एक दूसरे के बाल खींच कर लड़ने लगे। रमदा ने दोनों को अलग किया और प्यार से समझाने लगे बेटा, भाइयों को आपस में प्यार से रहना चाहिए, भाईयों के बीच झगड़ा करना बुरी बात है इससे परिवार की हंसी उड़ती है समाज में। दोनों बच्चे ध्यान से पिता की बात सुन रहे थे और हाँ में सिर हिलाया जैसे पिता की बात समझ में आ गई थी। रमदा प्यार से दोनों बच्चों को देख रहे थे और खुश थे कि बच्चों को समझ में आ गया था।
कुछ ही देर में रमदा की पत्नी बड़बड़ाती हुई कमरे में आयीं और गुस्से में बोली खिमुआ की घरवाली ने आज फिर हमारे पेड़ से आम तोड़ लिये चुपके से मैं खिड़की से देख रही थी। तुम उठो और खिमुआ को जाकर कहो कि बार बार कहने के बाद भी उसकी घरवाली नहीं मानती। आज तो फैसला करके ही आओ चाहे झगड़ा ही क्यों न करना पड़े। रमदा पत्नी की बात सुनकर गुस्से में आ गये। ठीक है आज मैं खिमुआ को सबक सिखाकर ही आऊंगा। देखता हूँ क्या कर लेगा। कहते हुये रमदा एक झटके में उठे और खिमुआ से लड़ने के लिए चल दिए।
रमदा के जाते ही बच्चों ने मां से पूछा, ईजा "चाचाजी क्या बाबू के भाई नहीं है?
मां बोली, बेटा वह तेरे बाबू के छोटे भाई हैं।
तो फिर अभी तो बाबू हमसे कह रहे थे कि भाईयों को झगड़ा नहीं करना चाहिए समाज में हंसी उड़ती है।
मां बच्चों के मुंह से यह सुनकर अवाक थी। तभी जैसे उसे कुछ अहसास हुआ वह बाहर की तरफ दौड़ पड़ी रमदा को रोकने के लिए।
               - विनोद भगत"आंगिरस"