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Tuesday 3 May 2016

राजनीति सर्वत्र व्याप्त है

राजनीति सर्वत्र व्याप्त है ,
आप के खाने 
आपके पीने
आपके भगवान
यह सब राजनीति से तय होने लगे हैं
आपके रिश्ते 
आपके मित्र
आपकी पसंद
यह सब राजनीति से तय होने लगे हैं
आपका काम
आपका शहर
आपका मोहल्ला
यह सब राजनीति से तय होने लगे हैं
आपकी आपदा
आपकी खुशी
आपकी समस्या
यह सब राजनीति से तय होने लगे हैं
आपका जन्म
आपका मरण
आपका जीना
यह सब राजनीति से तय होने लगे हैं
आपके आराध्य
आपके पूजा के ढंग
आपके पूजा स्थल
यह सब राजनीति से तय होने लगे हैं
-----विनोद भगत

-बेचारे महापुरुष---

अपहरण हो रहा महापुरुषों का सरेआम
संगठित गिरोह बनाकर 
एक भी महापुरुष नहीं बचा 
तमाम महापुरुष हो चुके अपह्रत
दल और संगठन मिलकर 

कर देते सीमित बेचारे महापुरुषों को
जो देते रहे जीवनपर्यंत एकता का संदेश
वही बेचारे बंट गये जातियों धर्मों में
नीतियों और आदर्शों की धज्जियां उधेड़ते
अपहरणकर्ता अट्टहास करते दिन रात
रोती आत्मा नहीं देखता कोई
महापुरुष ऐसे थे क्या
जैसे आज उनके छद्म अनुयायी हैं
-विनोद भगत

---चेत जाओ ---

वेदना से उपजे शब्द 
जब चीख बन जाते हैं
तब सिंहासन डोलने लगते है
भरभरा जाते हैं अन्याय के महल
पीड़ा हद से बढ़ जाये जब
दर्द का स्वाद मीठा होगा जिस दिन
तुम्हारा सुख होगा समाप्त तभी
तुम्हारे जुल्म का हिसाब शुरू होगा
चेत जाना होगा तुम्हें
पर अभी भी तुम मद में डूबे हो
यही मद तुम्हें अंधकार में रखे हुये हैं
वेदना का अहसास करो
दर्द को शिद्दत से महसूसो
तुम परिवर्तन देखोगे
यही बदलाव तुम्हारा पश्चाताप होगा
एक नया जीवन पाओगे
आओ शुरू करें
नये जीवन का नया सबेरा
खुशियां जहां इंतजार में हैं
------------विनोद भगत