Popular Posts

Tuesday 21 February 2012

मैं क्यों लिखता हूँ ,


मैं क्यों लिखता हूँ ,
सच तो यह है ,
कि मैं खुद भी नहीं जानता ,
विचारों  को शब्दों में ढाल कर ,
कुछ कहने की कोशिश करता हूँ ,
मैं कुछ नया नहीं गढ़ता ,
वही जो पहले भी सुना औए लिखा होता है ,
वही सब स्मरण कराता हूँ ,
मैं नहीं जानता मेरे लिखने से क्या होगा ,
पहले भी बहुत कुछ लिखा गया है ,
उसका क्या कोई सार्थक परिणाम हुआ ,
शायद नहीं ,
लोग पढ़ते  रहे ,
कुछ तारीफ़ के पुल गढ़ते रहे ,
जीवन में कौन उतार पाया ,
अच्छी बाते पढने में अच्छी लगती है ,
अमल कब हो पता है ,
शायद इसीलिए मैं सोचता हूँ ,
मैं क्या और क्यों लिखता हूँ ,
पर लिखना मेरा कर्म है ,
फल की इच्छा ना करूँ ,
तो लिखना जारी रहेगा ,


               विनोद भगत

Monday 20 February 2012

आम आदमी


आम आदमी मुझसे िब्गड़ गया ,
बुरा भला कहने लगा ,
गुस्से में मुझे घूरने लगा ,
लाल पीली ऑंखें िदखाता ,
बोला गाली मत देना ,
आज तो कह िदया ,
आगे से कभी मुझे ,
नेताजी मत कहना ,
जो मेरी कमाई खाता है ,
उसे मेरे बराबर मत बनाना
                  विनोदभगत

Sunday 19 February 2012

मधुर स्मर्तिया


भर आयी ये आँखे ,
जब कहा उन्होंने , चलते हैं ,
यकबायक ठहर गया ,
वक्त , जब कहा उन्होंने ,
चलते हैं ,
रुंधे गले से बस इतना ,
कह पाए ,
जाओ पर तुम अपनी ,
मधुर स्म्रतियों को ,
हमारे अन्तःस्थल से कैसे ,
ले जा पाओगे ,
हाँ स्मर्तिया , जिन पर ,
अब तुम्हारा कोई ,
अधिकार नहीं ,
वह सब हमारी निधियां है ,
जिन्हें संजोये रखेंगे ,
हम अपने ह्रदय में ,
इसलिए कि कभी वे तुम्हारी थी ,
जाओ ले जाओ ,
हमारी हृदयस्पर्शी भावनाएं ,
जिनमें सिर्फ शुभकामनाओं ,
कि विशाल आकांक्षाएं है ,
तुम्हारे लिए .

विनोद भगत

Friday 17 February 2012

विकास हो रहा है ,


विकास हो रहा है ,
आज भी प्लेटफार्म पर कड़कती ठण्ड में ,
ठिठुरन भरी रात में फटे कम्बल में कोई सो रहा है ,
विकास हो रहा है ,
मैंने देखा एक रोटी के टुकड़े के लिए माँ की गोद में बच्चा ,
जार-जार रो रहा है ,
विकास हो रहा है ,
आज भी पेट की आग बुझाने को ,
पूरा शरीर बिक रहा है ,
विकास हो रहा है ,
पञ्च सितारा कक्षों में बैठकों में सड़क पर रहने वालो के भाग्य का ,
कोई फैसला हो रहा है ,
विकास हो रहा है ,
हाँ विकास हो रहा है ,
निरंतर इस बात का दावा हो रहा है ,
विकास हो गया तो उनके पास फिर काम ही क्या होगा ,
इसलिए विकास हो रहा है
                          विनोद भगत