आओ, मैं तुम्हें खाउंगा ,
मैं आरक्षण हूँ ,
रक्षण नहीं, भक्षण करता हूँ ,
मैं आरक्षण हूँ ,
रक्षण नहीं, भक्षण करता हूँ ,
सपनो का , अरमानों का ,
देखो मेरा दम ,
योग्य जो है उसे अयोग्य बना देता हूँ ,
अयोग्य को प्रश्रय देता हूँ ,
तुम असहाय हो ,
एक पल में बता देता हूँ ,
मुझे सरंक्षण है ,
वोट के सौदागरों का ,
मै जानता हूँ ,
तुम नहीं कर सकते कुछ भी ,
मैं अट्टहास कर रहा हूँ ,
मुझे सींच रहे हैं तुम्हारे नीति नियंता ,
दरअसल सवर्ण होना अभिशाप बन गया है ,
तुम्हारे लिए ,
तुम सवर्ण हो ,
इसलिए शर्म आनी चाहिए तुम्हें ,
सवर्ण कहीं के ,
गाली बन गया है ,
अब सवर्ण शब्द ,
हाँ, तुम सवर्ण हो , सवर्ण हो ........
देखो मेरा दम ,
योग्य जो है उसे अयोग्य बना देता हूँ ,
अयोग्य को प्रश्रय देता हूँ ,
तुम असहाय हो ,
एक पल में बता देता हूँ ,
मुझे सरंक्षण है ,
वोट के सौदागरों का ,
मै जानता हूँ ,
तुम नहीं कर सकते कुछ भी ,
मैं अट्टहास कर रहा हूँ ,
मुझे सींच रहे हैं तुम्हारे नीति नियंता ,
दरअसल सवर्ण होना अभिशाप बन गया है ,
तुम्हारे लिए ,
तुम सवर्ण हो ,
इसलिए शर्म आनी चाहिए तुम्हें ,
सवर्ण कहीं के ,
गाली बन गया है ,
अब सवर्ण शब्द ,
हाँ, तुम सवर्ण हो , सवर्ण हो ........
कापीराईट @विनोद भगत
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