तुम्हारी वेदना का
कोई मोल नहीं यहाँ
उन्हें अपने सुख से
है मतलब
तुम्हारी चीखों को अनसुना
कर दिया गया है
वेदना से उपजी तुम्हारी
कराहट नहीं सुनेगा कोई
तुम वह सीढ़ी हो
जिसे पैंरों तले रौंदकर
वह चढ़ते हैं
हाँ यही मोल है तुम्हारा
तुम सिर्फ जरिया हो उनका
रोटी मत मांगना
वह कभी देंगे भी नहीं
क्योंकि उनके अपने ही पेट
नहीं भर पाते कभी
तुम ही सोचो
जो खुद भूखा है
कैसे दे सकता है
दूसरे को रोटी
उनकी भूख कभी मरेगी भी नहीं
इसलिये वह तुम्हें भूखा
रखते हैं
-विनोद भगत
कोई मोल नहीं यहाँ
उन्हें अपने सुख से
है मतलब
तुम्हारी चीखों को अनसुना
कर दिया गया है
वेदना से उपजी तुम्हारी
कराहट नहीं सुनेगा कोई
तुम वह सीढ़ी हो
जिसे पैंरों तले रौंदकर
वह चढ़ते हैं
हाँ यही मोल है तुम्हारा
तुम सिर्फ जरिया हो उनका
रोटी मत मांगना
वह कभी देंगे भी नहीं
क्योंकि उनके अपने ही पेट
नहीं भर पाते कभी
तुम ही सोचो
जो खुद भूखा है
कैसे दे सकता है
दूसरे को रोटी
उनकी भूख कभी मरेगी भी नहीं
इसलिये वह तुम्हें भूखा
रखते हैं
-विनोद भगत
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