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Tuesday 3 May 2016

---चेत जाओ ---

वेदना से उपजे शब्द 
जब चीख बन जाते हैं
तब सिंहासन डोलने लगते है
भरभरा जाते हैं अन्याय के महल
पीड़ा हद से बढ़ जाये जब
दर्द का स्वाद मीठा होगा जिस दिन
तुम्हारा सुख होगा समाप्त तभी
तुम्हारे जुल्म का हिसाब शुरू होगा
चेत जाना होगा तुम्हें
पर अभी भी तुम मद में डूबे हो
यही मद तुम्हें अंधकार में रखे हुये हैं
वेदना का अहसास करो
दर्द को शिद्दत से महसूसो
तुम परिवर्तन देखोगे
यही बदलाव तुम्हारा पश्चाताप होगा
एक नया जीवन पाओगे
आओ शुरू करें
नये जीवन का नया सबेरा
खुशियां जहां इंतजार में हैं
------------विनोद भगत

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