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पेट में उनके आग होती है , जिनके चूल्हे बुझे होते हैं , बुझे चूल्हे की आग पेट से , जब बाहर निकलती है , तब विकराल हो जाती है , चूल्हे...
Thursday 6 February 2014
विविध
अब तो दुनिया भर में भारत की साख ,लगता है खो दी ,
पन्नो पर लिखी गौरव की गाथाएँ भी , लगता है धो दी ,
=======विनोद भगत
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प्यास ही प्यास
आस ही आस
टूटता विश्वास .
--------------------- विनोद भगत
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=========सैब बणियोक के फैद नै==========
हरियक बल्द हरै गो ,
हरुलिक गागर ,
भौतें चै चिते बेर ले नि मिल ,
कसिक खेत जोतुल ,
कसिक पाणि भरुल,
हरी अब ज़ोर जोरेक फसक मारूं,
हरुलि अब कोल्ड ड्रिंक पीण लागे ,
गौ फना अब नानतिन जीन्स में नाचनी ,
इज मॉम और बाबू डैड ,
बड़बाज्यू कै को पूछनरा ,
आम कयीं कुड में छू ,
सब बदई गया रे,
पहाडि अब सैब बन गया रे ,
सैब बन जाण भल छू ,
सैब बनन चै ,
पर अपण संस्कृति कै भुलिबेर ,
सैब बणियोक के फैद नै ,
--------- विनोद भगत
( यौ कविता त न्हाते पर म्यर विचार जरुर छै, के बात गलत लागलि त माफ़ करिया )
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प्रेम के धागे से रिश्तों को बुनना है हमें ,
नफरतों के काँटों को अब नहीं चुनना हमें ,
कह दो उनसे जो नफ़रत बांटते हैं जहाँ में ,
नामोनिशां मिटाना है अब उनका जहाँ से
विनोद भगत
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चार पंक्तियाँ................
भाव जब से बढे हैं बाज़ार में ,
भाव तब से मिट रहे प्यार में .
तन खा रही गरीबी दीमक सी,
तनखा जा रही सब उधार में .
विनोद भगत
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एक मुक्तक----------------
सखी री हैं क्यों वह नाराज मुझसे ,
बात नहीं करते वह आज मुझसे
रिझा रिझा कर मैं तो हार गयी ,
नहीं बजते प्रेम के साज़ मुझसे
==========विनोद भगत
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चोर पुलिस औ " नेता तीनों
जात हैं संग संग मुस्काय ,
सोचन लागे अब सभी कैसे
इन मक्कारन से बचा जाय
========विनोद भगत
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===========करें उपचार अब यारो======= .
चौकीदारों पर नहीं रहा ऐतबार अब यारो ,
तो चोरों को ही सौप दें घर बार अब यारों ,
भरोसे का हो रहा खून लगातार अब यारों ,
लोकतंत्र देश का हुआ लाचार अब यारो ,
सत्य अकेला, झूठ हुआ गुलजार अब यारो ,
पता नहीं कब बिक गया पत्रकार अब यारो ,
हैवानियत खुश मानवता शर्मसार अब यारो ,
भ्रष्ट हुयी नीति कितनी हुयी बीमार अब यारो
आओ मिल जुल कर करें उपचार अब यारो .
विनोद भगत
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बता दो क्या करूँ ऐसा मै जो प्यार को मेरे जान लोगे ,
या यूँ ही बेरुखी दिखा दिखा इक दिन मेरी जान लोगे .
--------विनोद भगत
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लिख भेजती उन्हें तुम प्रेम भरी इक पाती ,
समझ लेते सखी वह जो तुम कह ना पाती.
-------- विनोद भगत
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नेता आतंकवादी
एक नेता था ,
एक आतंकवादी था ,
दोनों दिन में दुश्मन थे ,
रात के अँधेरे में मित्र थे ,
एक रात दोनों में बहस हो गयी,
बात कुछ ज्यादा लम्बी हो गयी ,
नेता बोला मैं इमानदार हूँ भाई ,
आतंकवादी बोला मैं इमानदार हूँ भाई,
नेता मानने को तैयार ही नहीं था ,
आतंकवादी भी झुकने को तैयार नहीं था ,
बात रात भर बढ़ती रही ,
बहस देर तक चलती रही ,
आतंकवादी बोला चलो अभी फैसला होता है ,
तुम्हीं बताओगे कौन इमानदार होता है ,
हम जैसे बम धमाके करते हैं ,
तुम लोग जैसे घोटाले करते हैं ,
हमारी तरह कभी ली हैं घोटाले कि ज़िम्मेदारी ,
हम लेते हैं , कैसे कर सकते हो हमारी बराबरी ,
धमाके कर स्वीकार करते हैं डंके कि चोट पर ,
तुम करके देखो आग लग जायेगी तुम्हारे वोट पर ,
नेता देख रहा था आतंकवादी को ,
पसीना आ रहा था बेचारी खादी को .
copyright @ विनोद भगत
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भरमाने के लिए भोली जनता को छदम योजनायें ला दी .
खून सुखाने को उसी जनता पर भारी महंगाई भी लादी
======================विनोद भगत
पहले खूब जमकर तबियत भर के रिश्वत खा दी ,
और बाद में सम्मानित हो गए वह पहन के खादी ,
=========================विनोद भगत
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