हिन्दू इस देश
के लिए खतरा बन गए ,
वोट के लिए
बलि का बकरा बन गए ,
मिल जुल के
रहने की आदत अब छूटी,
दरअसल राजनीति
का ककहरा पढ़ गए
मज़हब में सभी
के है प्यार के अक्षर बहुत ,
जाने क्यों
शब्द खून का कतरा बन गए ,
अपने स्वार्थ
की बातो पर खूब चिल्लाए ,
और मतलब की
बात पर बहरा बन गए
विनोद भगत
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