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Friday 17 February 2012

पिता


तुम मेरा आसमान हो ,
तुम प्रश्रय देते हो ,
मेरे लिए बादलों को ,
स्नेह और स्निग्ध ममता ,
के पवित्र जल से ,
सींचा है तुमने मेरी ,
जीवन वाटिका को ,
जग ने तुम्हे केवल पिता कहा है ,
पर मेरे लिए तो ,
तुम अतुलनीय बल हो ,
तुमसे ही तो मुझे जिजीविषा का ,
बिन माँगा वरदान मिला ,
तुम संबल हो मेरा ,
मेरी कही अनकही,
आकांक्षाओं की पूर्ति के सर्जक ,
तुम्हें ही दे दूंगा यह प्राण , जो तुमने ही तो दिए है मुझे ,
प्रतिकार की आकांक्षा में तो ,
नहीं दिया होगा यह शरीर,
पर मेरे हृदय के भीतर ,
छुपी तुम्हारी पूजा ने ,
भर दी अगाध भक्ति तुम्हारे प्रति       
                        विनोद भगत


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