मजबूर
है प्रधानमंत्री ,
लाचार
है आम आदमी ,
भ्रष्टाचार
कर रहा अट्टहास ,
भारत
की यह कैसी हुई तकदीर ,
अन्ना, रामदेव को भी साना ,
भ्रष्टाचार
के दलदल में ,
अब
कौन करेगा आम आदमी का दुःख दूर ,
जो
भी आएगा आगे ,उसे भी देख िलया जायेगा ,
हम
तो कीचड़ है , पत्थर मारने की कोइश्श कर के देख लो ,
हमारे
भ्रष्टाचार की बात भूल जाओ ,
अपने
दामन के छीटे साफ़ करने की सोचो ,
करें
क्या मेरे प्यारे देशवासियों हम तो मजबूर है ,
हम
तो मजबूर हैं ,
विनोद भगत
सच ही कहा है
ReplyDeleteयह सरकार यही करती है
जो बोले उसी का मुह पकडती है
अब तो चुनाव आयोग औ -
न्यायालय तक को जकड़ती है -
ऐसे में -
आम आदमी क्या कर सकता है
क्रांति ही एक रास्ता जान पड़ता है
-लक्ष्मण लडीवाला,जयपुर