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Sunday 26 February 2012

नीड़

प्रकृति का जीव ,
 सुन्दर उपहार  है नीड़ ,
नीड़ कवच है ,
जीवन  का ,
नीड़ प्रकृति की ,
सुन्दर कला कृति ,
जीवन का प्रथम,
 सत्य नीड़ ,
कहीं घौसला कहीं मकान ,
पर क्या नीड़ की उपयोगिता ,
 समझ पाया मानव ,
अपने ही हाथों से तोड़ता ,
अपने ही नीड़ को ,
नीड़ केवल तिनकों , ईट पत्थरों से ,
बने घर का ही नाम नहीं ,
नीड़ नाम है आशा का ,
नीड़ नाम है यथार्थ का ,
यथार्थ है नीड़ के प्रति निष्ठा का ,
आस्था  का ,
नीड़ जहाँ तुम निवास करते हो ,
उस सकल राष्ट्र  का ,
नाम है नीड़ ,
और तुम मात्र तिनका हो ,
इस नीड़ का ,
यही यथार्थ है ,
यथार्थ से मुख मोड़कर ,
नीड़ के तिनके तिनके ,
अलग अलग कर ,
ये क्या कर रहे हो ,
तनिक विस्मृति से बहार आओ ,
देखो पाँव भी तुम्हारा है ,
 और कुहाड़ी भी तुम्हारे हाथ में है ,
कोई और क्यों ,
अपने कर्म का , तुम ही फैसला करो ,
स्मरण इतना ही रहे ,
 नीड़ कवच है जीवन का

                           विनोद भगत

 

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